शायद जिस्म की मौत इंसान की मौत नहीं होती , एक जिस्म था वो मर गया , एक इंसान था जो अभी ज़िंदा है और आप लोगो से कुछ कहना चाहता है , उसने कल भी कुछ कहना चाहा था लेकिन उसकी आवाज़ दबा दी गयी .वो सुशांत जो दिशा के लिए लड़ना चाहता था , जिसे कई लोगो ने बदनाम करने को कोशिश की , उसके परिवार पे लांछन लगाए , वो शायद आज आप लोगो से कुछ कहना चाहता है. लीजिये हम मुल्ज़िम सुशांत सिंह राजपूत को आपके सामने पेश करते हैं.
आज जब मैं इस देश की जनता से आखिरी बार बात कर रहा हूँ , तो मैं ये नहीं कहना चाहता की मैं सही था या गलत , अच्छा था या बुरा , क्या धर्म क्या मज़हब , मैं ऐसी कोई बात नहीं करना चाहता . क्युकी इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता , मेरा एक ही धर्म एक ही मज़हब था , वो ये की मैं भारत वासी हूँ. मैं कोई नहीं हूँ , कुछ नहीं हूँ. लेकिन सुशांत कोई है , मैं मर गया लेकिन सुशांत ज़िंदा है आप सब लोगो की सोंच में , आपके दिल मैं .. मैं कही नहीं हूँ , लेकिन सुशांत हर कही हैं .
वो सुशांत जिसे कई लोगो ने अपनी कामयाबी और पैसा कमाने की सीढ़ी समझा , जिसे अंकित , गणेश और अंकिता ने अपने सुख दुःख का साथी समझा और कई लोगो ने अपने रास्ते का काँटा समझा , उन्हें मुझसे कोई परेशानी नहीं थी , उन्हें परेशानी थी मेरे अंदर जाग उठे उस इंसान से जिसने एक सच्चे और अच्छे भारत के सपना देखा था. जो अन्याय के खिलाफ लड़ना चाहता था .
और आज अर्नब गोस्वामी जी जिस तरह से अन्याय और झूठ के खिलाफ लड़ रहे हैं . मुझे उनके अंदर भी एक सुशांत दीखता है .
आज अर्नब सिर्फ एक इंसान नहीं , एक चेतना , एक उम्मीद , एक सपने का नाम है , सपना की कभी किसी के खिलाफ साज़िश न हो , कोई अन्याय न हो . सच की हमेशा जीत हो . एक ऐसे भारत का सपना जो सबसे शक्तिशाली हो. जहा हर इंसान देश भक्त हो. .
दोस्तों तुम लोग मेरा लिए आंसू मत बहाना , मेरे लिए दुखी न होना , मर गया तो मर गया , तुम मुझे भूल जाना , लेकिन सच्चाई का हमेशा साथ देना ,
अर्नब गोस्वामी का साथ देना मतलब मेरा साथ देना है , जब अर्नब जी को अपने लिए लड़ते देखता हूँ म तो उनकी आवाज़ में मुझे अपनी आवाज़ सुनाई देती है.
मैं तो अर्नब जी से कभी मिला भी नहीं , उनसे मेरा कोई रिश्ता भी नहीं . फिर भी वो अपनी जान हथेली प लेके मेरे और मेरे परिवार के लिए लड़ रहे हैं. मैं तो अर्नब जी से कभी मिला भी नहीं , उनसे मेरा कोई रिश्ता भी नहीं . फिर भी वो अपनी जान हथेली प लेके मेरे और मेरे परिवार के लिए लड़ रहे हैं. , मुझे नहीं लगता कि इसमें अर्नब जी का कोई व्यक्तिगत फायदा है , वो सिर्फ मेरे लिए नहीं , हर उस इंसान जो कमज़ोर है , जिसके साथ अन्याय हुआ है उसको इन्साफ दिलाने के लिए लड़ रहे है , वो भी इतने ज्यादा ताकतवर लोगो से., शायद इसीलिए आज पूरा देश अर्नब गोस्वामी और रिपब्लिक भारत के साथ खड़ा है.
अर्नब जी मैं आपको नमन करता हूँ , और पूरा यकीन है कि आप सब इसी तरह इन्साफ के लिए लड़ते रहेंगे .
नोट - ये एक काल्पनिक लेख है. , जब मैं अर्नब गोस्वामी जी को अकेले सबसे लड़ते देखता हूँ , तो मेरे दिल में जो भावनाये आती हैं , मैने बस वो लिखी हैं , मेरा राजनीति या पत्रकारिता से कोई लेना देना नहीं है.
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